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‎मुख्यमंत्री सुपोषण योजना (Mukhyamantri Suposhan Yojana)


‎मुख्यमंत्री सुपोषण योजना (Mukhyamantri Suposhan Yojana

‎मुख्यमंत्री सुपोषण योजना (Mukhyamantri Suposhan Yojana)सरकार द्वारा शुरू की गई एक महत्वाकांक्षी योजना है जिसका उद्देश्य राज्य के बच्चों, महिलाओं और विशेष रूप से गर्भवती व धात्री महिलाओं में कुपोषण की समस्या को समाप्त करना है। यह योजना न केवल एक पोषण कार्यक्रम है, बल्कि यह सामाजिक न्याय, महिला सशक्तिकरण और स्वस्थ समाज की ओर एक मजबूत पहल है।

‎ योजना की शुरुआत कब और क्यों हुई?

‎‎मुख्यमंत्री सुपोषण योजना की शुरुआत 2 अक्टूबर 2019 को महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर की गई थी। छत्तीसगढ़ में लंबे समय से कुपोषण की दर बहुत अधिक रही है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (NFHS) के आंकड़ों के अनुसार, राज्य के अनेक जिलों में 30% से अधिक बच्चे कुपोषित पाए गए थे। इसे देखते हुए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने यह योजना शुरू की ताकि कुपोषण के जड़ तक जाकर इसका समाधान किया जा सके।


‎ योजना का मुख्य उद्देश्य

‎बच्चों में कुपोषण को कम करना

‎गर्भवती व धात्री महिलाओं को पोषण युक्त आहार देना

‎महिलाओं को स्वस्थ गर्भावस्था और प्रसव के लिए जागरूक बनाना

‎कुपोषण से जुड़ी बीमारियों की रोकथाम

‎समाज में पोषण के महत्व के प्रति जागरूकता फैलाना

‎ लाभार्थी कौन-कौन हैं?

‎बच्चे 0-6 वर्ष की आयु तक के बच्चे

‎महिलाएं गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं

‎किशोरियाँ किशोर अवस्था की लड़कियाँ (12-19 वर्ष)

‎विशेष समूह कमजोर वर्ग के लोग, गरीब परिवार, विशेष पिछड़ा वर्ग

‎ योजना के अंतर्गत क्या-क्या सुविधाएं मिलती हैं?

‎मुख्यमंत्री सुपोषण योजना के अंतर्गत निम्नलिखित सुविधाएं दी जाती हैं:

‎निःशुल्क पौष्टिक भोजन – आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से बच्चों और महिलाओं को पोषण युक्त खाना।

‎दुग्ध वितरण – जरूरतमंद बच्चों को दूध दिया जाता है।

‎अंडा व फल वितरण – सप्ताह में दो से तीन बार अंडा और मौसमी फल दिए जाते हैं।

‎पोषण ट्रैकिंग – बच्चों की लंबाई, वजन और स्वास्थ्य की नियमित जांच।

योजना का वितरण कैसे होता है

‎मुख्यमंत्री सुपोषण योजना का वितरण प्रमुख रूप से आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से किया जाता है। राज्य के 85 लाख से अधिक लाभार्थियों को इस योजना से जोड़ा गया है।

‎प्रत्येक आंगनवाड़ी केंद्र पर कुकिंग गैस, बर्तन, और किचन शेड की सुविधा दी गई है।

‎स्थानीय स्तर पर  भोजन तैयार करते हैं जिससे महिलाओं को रोजगार भी मिलता है।

‎स्वास्थ्य विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग, और पंचायती राज संस्थाएं मिलकर इस योजना को लागू करती हैं।

‎ योजना का लाभ और उपलब्धियाँ

‎योजना के लागू होने के बाद से अब तक कई सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं:

‎कुपोषण दर में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है। कई जिलों में 15-20% तक सुधार हुआ है।

‎माताओं में प्रसवपूर्व जांच और आयरन सप्लिमेंटेशन की आदत बढ़ी है।

‎आंगनवाड़ी में बच्चों की उपस्थिति बढ़ी है।

‎योजना से स्थानीय महिलाओं को रोजगार के अवसर भी मिले हैं।

‎ कौन और कैसे ले सकता है इस  योजना का लाभ

‎आवेदक छत्तीसगढ़ का मूल निवासी होना चाहिए

‎महिला गर्भवती हो या स्तनपान कराने वाली हो

‎बच्चा 0-6 वर्ष के आयु वर्ग में हो

‎आवेदन कैसे करे

‎नजदीकी आंगनवाड़ी केंद्र में संपर्क करें

‎आधार कार्ड, मातृ-पासबुक या स्वास्थ्य कार्ड दिखाएं

‎पोषण स्तर की जांच के बाद योजना में नामांकन कर लिया जाएगा

‎ जन जागरूकता के लिए एक पहल

‎छत्तीसगढ़ सरकार ने इस योजना को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए "सुपोषण अभियान" की शुरुआत भी की है। इसके तहत:

‎स्कूलों, पंचायतों, और शहरी क्षेत्रों में पोस्टर-बैनर लगाकर जागरूकता फैलाई जाती है।

‎‘पोषण पर्व’ जैसे कार्यक्रमों का आयोजन होता है

‎सोशल मीडिया, टीवी, और रेडियो पर विज्ञापन चलाए जाते हैं


‎ योजना से जुड़ी जरूरी जानकारी 

‎योजना का नाम मुख्यमंत्री सुपोषण योजना

‎शुरुआत 2 अक्टूबर 2019

‎राज्य छत्तीसगढ़

‎लाभार्थी बच्चे (0-6 वर्ष), गर्भवती महिलाएं, स्तनपान कराने वाली महिलाएं

‎मुख्य सुविधा पोषण युक्त भोजन, दूध, अंडा, स्वास्थ्य जांच

‎आवेदन स्थान नजदीकी आंगनवाड़ी केंद्र

‎क्रियान्वयन विभाग महिला एवं बाल विकास विभाग

‎ निष्कर्ष

‎मुख्यमंत्री सुपोषण योजना सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ के भविष्य की नींव है। स्वस्थ बचपन और मातृत्व की बुनियाद रखकर यह योजना एक समृद्ध, सशक्त और आत्मनिर्भर समाज की ओर ले जाती है। यदि आप छत्तीसगढ़ में रहते हैं या किसी को जानते हैं जिसे इस योजना की जरूरत है, तो आज ही नजदीकी आंगनवाड़ी केंद्र से संपर्क करें और इस जनहितकारी योजना का लाभ उठाएं।

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